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एम ए सेमेस्टर-1 शिक्षाशास्त्र प्रथम प्रश्नपत्र - शैक्षिक चिन्तन : भारतीय दार्शनिक परम्परायें

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2685
आईएसबीएन :0

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एम ए सेमेस्टर-1 शिक्षाशास्त्र प्रथम प्रश्नपत्र - शैक्षिक चिन्तन : भारतीय दार्शनिक परम्परायें

प्रश्न- श्री अरविन्द अन्तर्राष्ट्रीय शिक्षा केन्द्र का वर्णन कीजिए।

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. श्री अरविन्द अन्तर्राष्ट्रीय शिक्षा केन्द्र पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
2. श्री अरविन्द अन्तर्राष्ट्रीय शिक्षा केन्द्र के उद्देश्य बताइए।
3. श्री अरविन्द अन्तर्राष्ट्रीय शिक्षा केन्द्र के पाठ्यक्रम को बताइए।
4. श्री अरविन्द अन्तर्राष्ट्रीय शिक्षा केन्द्र की मुक्त शिक्षा प्रणाली पर टिप्पणी लिखिए।

उत्तर -

श्री अरविन्द अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा केन्द्र

श्री अरविन्द के शैक्षिक विचारों को मूर्त रूप देने के लिए श्री अरविन्द आश्रम में 2 दिसंबर, 1943 को आश्रम स्कूल की स्थापना की गई। प्रारम्भ में इसमें केवल 32 छात्र-छात्रायें थीं। आगे चलकर इसे आवासीय सहशिक्षा संस्था के रूप में विकसित किया गया। 5 दिसंबर, 1950 को श्री अरविन्द ने महाप्रस्थान किया। 1951 में आश्रम में एक महासभा का आयोजन किया गया। इस महासभा में श्री अरविन्द अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा केन्द्र के नाम से इसकी स्थापना की। तब से अब तक यह एक अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा केन्द्र के रूप में कार्य कर रहा है। यहाँ इस केन्द्र का क्रमबद्ध वर्णन प्रस्तुत है

स्थिति एवं भवन

श्री अरविन्द अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा केन्द्र श्री अरविन्द आश्रम के मुख्य भवन के ठीक सामने स्थित है। इसका अपना चार मंजिला भवन है। इसमें उच्च स्तर के विभागीय पुस्तकालय, प्रयोगशालाएं और कार्यशालाएं हैं। आश्रम के अपने खेल के मैदान, जिम्नेजियम और तरण ताल हैं। ये शिक्षा केन्द्र के छात्र-छात्राओं के लिए भी खुले होते हैं। यूं तो आश्रम में एक ध्यान कक्ष भी , परन्तु शिक्षा केन्द्र के छात्र-छात्राओं के लिए अलग से भी व्यवस्था है।

प्रशासन एवं वित्त - इस शिक्षा केन्द्र के प्रशासन एवं वित्त व्यवस्था का भार आश्रम के शिक्षा विभाग पर है। जहाँ तक वित्त व्यवस्था की बात है, कुछ तो आश्रम करता है और कुछ केन्द्रीय सरकार से सहायता मिलती है।

संगठन - यह एक आवासीय सहशिक्षा संस्था है जिसमें शिशु शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तर्क की व्यवस्था है परन्तु कुछ अपने प्रकार की शिक्षा संरचना कुछ इस प्रकार है -

1. शिशु विहार (किण्डर गार्टन, शिशु स्तर) आयु 3 से 5 वर्ष, पाठ्यक्रम 3 वर्षीय।
2. भविष्य (आवनी, प्राथमिक स्तर) आयु 6 से 8 वर्ष, पाठ्यक्रम 3 वर्षीय।
3. प्रगति (प्रोगे, उच्च प्राथमिक स्तर की शिक्षा) आयु 9 से 11 वर्ष पाठ्यक्रम 3 वर्षीय।
4. पूर्णता की ओर (अंनावा वैर ला फेसओ, माध्यमिक स्तर) आयु 12 से 17 वर्ष, पाठ्यक्रम 6 वर्षीय।
5. उच्चर्या (हायर कोर्स, उच्च शिक्षा स्तर) आयु 18 से 20 वर्ष, तीन पाठ्यक्रम तीन वर्षीय।

उद्देश्य - श्री अरविन्द अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा केन्द्र के निम्नलिखित पांच उद्देश्य हैं -

 

1. सर्वागीण शिक्षा की प्रणाली को विकसित और चरितार्थ करना और समाज के लिए उसे एक सक्रिय आदर्श बनाना।
2. मानव व्यक्तित्व के पांच मुख्य पहलुओं शरीर, प्राण, मन, चैत्य और आध्यात्मिक की साधना और विकास के लिए ऐसा परिवेश और वातावरण तैयार करना जिससे अभीप्सा बना रहे और सुविधाएं भी प्राप्त हों।
3. समस्त ज्ञान की एकता पर बल देना और मानविकी तथा विज्ञान को एकता के सच्चे अर्थ में साथ लाने का प्रयास करना ताकि इन दोनों की भलाई हो सके।
4. मानव जाति की एकता के अनुभव और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने का प्रयास करना।
5. नये अंतर्राष्ट्रीय सामंजस्य की रूपरेखा में अपनी भूमिका निभाने के लिए भारत को तैयार करना।

पाठ्यक्रम - इस केन्द्र में भिन्न-भिन्न स्तरों के लिए भिन्न-भिन्न पाठ्यक्रम निश्चित हैं, परन्तु उसे छात्र-छात्राओं पर जबरन लादा नहीं जाता अपितु ऐसा पर्यावरण तैयार किया जाता है कि वे उसमें से यथा विषयों एवं क्रियाओं को सीखने के लिए स्वयं आगे आते हैं।

 

 

1. शिशु विहार - आयु 3 से 5 वर्ष। पाठ्यक्रम 3 वर्षीय। इस स्तर पर विभिन्न स्तर के शिशु स्तर के खेल-कूद, संगीत-नृत्य, चित्रकारी एवं कला आदि की व्यवस्था है। बच्चों की खेल-खेल में मांस-पेशियों, इन्द्रियों और भाषा को इतना विकसित कर दिया जाता है कि वे आगे की शिक्षा ग्रहण करने योग्य बन जाते हैं। उन्हें संस्कृत और फ्रेंच भाषा में बातचीत करने के अवसर दिये जाते हैं और अभय एवं निर्भीक बनाने का प्रयत्न किया जाता है। साथ ही शिशुओं को सदैव सत्य बोलने की प्रेरणा दी जाती है।

2. भविष्य - आयु 6 से 8 वर्ष। पाठ्यक्रम 3 वर्षीय। इस स्तर पर शिक्षा का माध्यम फ्रेंच भाषा है। प्रथम वर्ष में छात्र-छात्राओं को संस्कृत की वर्णमाला सिखाई जाती है, दूसरे वर्ष में अन्य भारतीय भाषाएं सिखाने की व्यवस्था है। साथ ही गणित, हस्तकला, कसीदाकारी, संगीत व नृत्य सिखाने की व्यवस्था है।

3. प्रगति - आयु 9 से 11 वर्ष पाठ्यक्रम तीन वर्षीय इस स्तर पर अंग्रेजी, फ्रेंच, संस्कृत, मातृभाषा, इतिहास, भूगोल, गणित, विज्ञान, संगीत और सामान्य ज्ञान आदि विषय पढ़ाने की व्यवस्था है।

 

4. पूर्णता की ओर - आयु 12 से 17 वर्ष। पाठयक्रम 6 वर्षीय। इस स्तर पर प्रगति के विषयों के साथ-साथ वनस्पति विज्ञान, जैविकी, भौतिकी, रसायनशास्त्र और कम्प्यूटर साइंस सिखाने की व्यवस्था है। इस स्तर पर छात्र-छात्राएं किसी परियोजना को लेते हैं और उस पर व्यक्तिगत अथवा सामूहिक रूप से कार्य करते हैं, उसका लेखन करते हैं और शिक्षक को सिखाते हैं।

5. उच्च वर्ग - आयु 18 से 20 वर्ष। पाठ्यक्रम 3 वर्षीय। इस स्तर पर देश-विदेश की मुख्य भाषाओं एवं उनके साहित्य और मानविकी, विज्ञान एवं तकनीकी विषयों के अध्ययन की व्यवस्था है। परन्तु कोई भी विषय अनिवार्य नहीं है, छात्र-छात्राएं चाहें तो केवल एक ही विषय ले सकते हैं और चाहें तो अनेक विषय भी ले सकते हैं।

शिक्षा का माध्यम

 

 

प्रथम तीन स्तर - शिशु विहार, भविष्य एवं प्रगति पर शिक्षा का माध्यम फ्रेंच भाषा है, इसके बाद पूर्णता की ओर एवं उच्च स्तर पर शिक्षा का माध्यम फ्रेंच एवं अंग्रेजी भाषाएं हैं।

शिक्षा की मुक्त प्रणाली - श्री अरविन्द मनुष्य को सर्वप्रथम दिव्य शरीर की प्राप्ति करना चाहते थे और अन्त में दिव्य मन की। परन्तु वे यह मानते थे कि किसी प्रकार के विकास करने की क्षमता भिन्न-भिन्न मनुष्यों में भिन्न-भिन्न होती है। श्री अरविन्द अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा केन्द्र में किसी भी स्तर के छात्रों को किसी भी प्रकार के बन्धन में नहीं रखा जाता, उन्हें विषयों एवं खेल-कूद आदि क्रियाओं के चयन और उनको अपनी गति से करने की पूरी छूट है। उच्च शिक्षा स्तर पर जो छात्र छात्राएं वहां उपलब्ध अध्ययन सुविधाओं में से किसी एक अथवा जितने विषयों को चाहे उतनो का अध्ययन कर सकते हैं और अपनी गति से कर सकते हैं। इस केन्द्र में छात्र-छात्राओं पर बाहर से कुछ नहीं लादा जाता, बस उन्हें ऐसा पर्यावरण दिया जाता है कि वे अपनी आन्तरिक सत्ता से पथ प्रदर्शन पाते हैं। इसे ही शिक्षा की मुक्त प्रणाली कहा जाता है।

शिक्षक - यहां देश-विदेश के आश्रमवासी ही शिक्षण कार्य करते हैं। इन्हें किसी प्रकार का वेतन नहीं दिया जाता, इनके भरण-पोषण की व्यवस्था आश्रम करता है। आवश्यकता पड़ने पर बाहर से भी शिक्षक बुलाये जाते हैं, देश-विदेश से बुलाए जाते हैं। सभी शिक्षकों को आश्रम के नियमों के अनुसार रहना होता है और शारीरिक व्यायाम एवं खेल-कूद और मानसिक ध्यानयोग में भाग लेना होता है। यहां के शिक्षक छात्र छात्राओं के मित्र एवं पथ-प्रदर्शक के रूप में कार्य करते हैं। श्री मां के शब्दों में जो शिक्षक छात्र-छात्राओं के अन्दर आन्तरिक सौन्दर्य को प्रकट कर सके उन्हें आदर्श शिक्षक मानना चाहिए।

 

शिक्षार्थी - श्री अरविन्द अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा केन्द्र श्री अरविन्द आश्रम का अभिन्न अंग है। तब इसके छात्र-छात्राएं भी आश्रम के अभिन्न अंग होने चाहिए। ये क्षेत्र, जाति, धर्म सम्प्रदाय आदि सभी भेदों से ऊपर उठकर छात्रवासों में एक साथ रहते हैं, सब अपने-अपने कमरों की सफाई स्वयं करते हैं, सब एक साथ भोजन करते हैं, सब अपने-अपने बर्तनों की सफाई स्वयं करते हैं, सब एक साथ कंधे से कंधा मिलाकर एक साथ खेलते हैं और खेल-कूद प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं, सब स्वतंत्र रूप से कभी अकेले तो कभी सामूहिक रूप से अध्ययन करते हैं और साथ ही शिक्षा केन्द्र एवं आश्रम के अन्य कार्यक्रमों में भाग लेते हैं, हाथ बंटाते हैं।

शिक्षक शिक्षार्थी सम्बन्ध - इस शिक्षा केन्द्र में इस समय लगभग 100 शिक्षक हैं और लगभग 500 छात्र-छात्राएं हैं, तब उनमें निकट का सम्बन्ध होना स्वाभाविक है और यह सम्बन्ध आत्मिक सम्बन्ध है।

 

प्रवेश - इस शिक्षा केन्द्र में किसी भी देश किसी भी जाति किसी भी धर्म और किसी भी वर्ग के बच्चों को बिना किसी भेदभाव के प्रवेश दिया जाता है, शर्त यह है कि उनमें ज्ञान एवं पूर्णता की प्राप्ति की प्यास हो, एक उच्चतर और श्रेष्ठतर जीवन की ओर बढ़ने की प्यास हो और दिव्य शरीर एवं दिव्य मन से पूर्ण नये जीवन को प्राप्त करने की प्यास हो।

परीक्षाएं एवं प्रमाण पत्र - यहां किसी भी स्तर पर न तो किसी प्रकार की परीक्षाएं होती हैं और न किसी प्रकार के प्रमाणपत्र दिये जाते हैं। शिक्षक-शिक्षार्थियों में निकट का सम्बन्ध रहता है, उन्हीं की संस्तुति पर वे आगे बढ़ते जाते हैं।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- दर्शन का क्या अर्थ है? इसकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  2. प्रश्न- दर्शन की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  3. प्रश्न- दर्शन के सम्बन्ध में शिक्षा के उद्देश्य बताइये।
  4. प्रश्न- शिक्षा दर्शन का क्या अर्थ है तथा परिभाषा भी निर्धारित कीजिए। शिक्षा दर्शन के क्षेत्र को स्पष्ट कीजिए।
  5. प्रश्न- शिक्षा दर्शन की परिभाषाएँ स्पष्ट कीजिए।
  6. प्रश्न- शिक्षा दर्शन के क्षेत्र को स्पष्ट कीजिए।
  7. प्रश्न- दर्शन के अध्ययन क्षेत्र एवं विषय-वस्तु का वर्णन कीजिए। दर्शन और शिक्षा में क्या सम्बन्ध है?
  8. प्रश्न- भारतीय दर्शन के आधारभूत तत्व कौन कौन से हैं? विवेचना कीजिए।
  9. प्रश्न- भारतीय दर्शन जगत में षडदर्शन का क्या महत्त्व है?
  10. प्रश्न- सांख्य और योग दर्शन के शिक्षण विधि संबंधी विचारों की तुलना कीजिए।
  11. प्रश्न- भारतीय दर्शन में जैन व चार्वाक का उल्लेख कीजिए।
  12. प्रश्न- बौद्ध दर्शन के मुख्य तत्वों पर प्रकाश डालिए।
  13. प्रश्न- धर्म तथा विज्ञान की दृष्टि से शिक्षा तथा दर्शन के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।उप
  14. प्रश्न- विज्ञान की शिक्षा तथा दर्शन से सम्बद्धता स्पष्ट कीजिए।
  15. प्रश्न- शिक्षा दर्शन से क्या अभिप्राय है? इसके स्वरूप का उल्लेख कीजिए।
  16. प्रश्न- शिक्षा दर्शन के स्वरूप की व्याख्या कीजिए।
  17. प्रश्न- "शिक्षा सम्बन्धी समस्त प्रश्न अन्ततः दर्शन से सम्बन्धित हैं।" विवेचना कीजिए।
  18. प्रश्न- दर्शन तथा शिक्षण पद्धति के सम्बन्ध की विवेचना कीजिए।
  19. प्रश्न- आधुनिक भारत में शिक्षा के उद्देश्य क्या होने चाहिए?
  20. प्रश्न- सामाजिक विज्ञान के रूप में शिक्षा की विवेचना कीजिए।
  21. प्रश्न- दर्शनशास्त्र में अनुशासन का क्या महत्त्व है?
  22. प्रश्न- दर्शन शिक्षा पर किस प्रकार आश्रित है?
  23. प्रश्न- शिक्षा दर्शन पर किस प्रकार निर्भर करती है?
  24. प्रश्न- शिक्षा दर्शन के प्रमुख कार्यों का वर्णन कीजिए।‌
  25. प्रश्न- शिक्षा-दर्शन के अध्ययन की आवश्यकता एवं महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
  26. प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान के अर्थ एवं परिभाषा की विवेचना कीजिए। शिक्षा मनोविज्ञान के क्षेत्र की भी विवेचना कीजिए।
  27. प्रश्न- शिक्षा एवं मनोविज्ञान में क्या सम्बन्ध है?
  28. प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान के क्षेत्र की विवेचना कीजिए।
  29. प्रश्न- "शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षक के लिए कुंजी है, जिससे वह प्रत्येक जिज्ञासा एवं समस्या का उचित समाधान प्रस्तुत करता है।' विवेचना कीजिए।
  30. प्रश्न- वर्तमान शिक्षा की मनोवैज्ञानिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- शिक्षा के व्यापक एवं संकुचित अर्थ बताइये।
  32. प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान का महत्व बताइये।
  33. प्रश्न- शिक्षक प्रशिक्षण में शिक्षा मनोविज्ञान की सम्बद्धता एवं उपयोगिता का वर्णन कीजिए।
  34. प्रश्न- मनोविज्ञान शिक्षा को विभिन्न समस्याओं का समाधान करने में किस प्रकार सहायता देता है?
  35. प्रश्न- सांख्य दर्शन के शैक्षिक अर्थ क्या हैं? सविस्तार वर्णन कीजिए।
  36. प्रश्न- सांख्य दर्शन में पाठ्यक्रम की अवधारणा को शैक्षिक परिप्रेक्ष्य में समझाइये।
  37. प्रश्न- सांख्य दर्शन के शैक्षिक परिप्रेक्ष्य में शिक्षण विधियों का वर्णन करो।
  38. प्रश्न- सांख्य दर्शन के शैक्षिक परिप्रेक्ष्य में अनुशासन, शिक्षण, छात्र व स्कूल का उल्लेख कीजिए।
  39. प्रश्न- सांख्य दर्शन के मूल सिद्धान्तों का क्या प्रभाव शिक्षा पद्धति पर हुआ है? व्याख्या कीजिए।
  40. प्रश्न- वेदान्त काल की शिक्षा के स्वरूप को उल्लेखित करते हुए विवेचना कीजिए।
  41. प्रश्न- वेदान्त दर्शन के शैक्षिक स्वरूप की व्याख्या कीजिए।
  42. प्रश्न- उपनिषद् काल की शिक्षा की वर्तमान समय में प्रासंगिकता की विवेचना कीजिए।
  43. प्रश्न- वेदान्त दर्शन की तत्व मीमांसा, ज्ञान मीमांसा तथा मूल्य एवं आचार मीमांसा का वर्णन कीजिए।
  44. प्रश्न- वेदान्त दर्शन की मुख्य विशेषताओं की विवेचना कीजिए। वेदान्त दर्शन के अनुसार शिक्षा के उद्देश्यों व पाठ्यक्रम की व्याख्या कीजिए।
  45. प्रश्न- न्याय दर्शन में ईश्वर विचार तथा ईश्वर के अस्तित्व के लिए प्रमाण बताइये।
  46. प्रश्न- न्याय दर्शन में ईश्वर के अस्तित्व के प्रमाण लिखिए।
  47. प्रश्न- न्याय दर्शन की भूमिका प्रस्तुत कीजिए तथा न्यायशास्त्र का महत्त्व बताइये। न्यायशास्त्र के अन्तर्गत प्रमाण शास्त्र का वर्णन कीजिए।
  48. प्रश्न- वैशेषिक दर्शन में पदार्थों की व्याख्या कीजिये।
  49. प्रश्न- वैशेषिक द्रव्यों की व्याख्या कीजिए।
  50. प्रश्न- वैशेषिक दर्शन में कितने गुण होते हैं?
  51. प्रश्न- कर्म किसे कहते हैं? व्याख्या कीजिए।
  52. प्रश्न- सामान्य की व्याख्या कीजिए।
  53. प्रश्न- विशेष किसे कहते हैं? लिखिए।
  54. प्रश्न- समवाय किसे कहते हैं?
  55. प्रश्न- वैशेषिक दर्शन में अभाव क्या है?
  56. प्रश्न- सांख्य दर्शन के मूल सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
  57. प्रश्न- सांख्य दर्शन के गुण-दोष लिखिए।
  58. प्रश्न- सांख्य दर्शन के बारे में आप क्या जानते हैं?
  59. प्रश्न- सांख्य दर्शन के प्रमुख बिन्दु क्या हैं?
  60. प्रश्न- न्याय दर्शन से आप क्या समझते हैं?
  61. प्रश्न- योग दर्शन के बारे में अपने विचार प्रकट कीजिए।
  62. प्रश्न- वेदान्त दर्शन में ईश्वर अर्थात् ब्रह्म के स्वरूप का वर्णन कीजिए।
  63. प्रश्न- अद्वैत वेदान्त के तीन प्रमुख सिद्धान्तों को बताइये।
  64. प्रश्न- उपनिषदों के बारे में बताइये।
  65. प्रश्न- उपनिषदों अर्थात् वेदान्त के अनुसार विद्या, अविद्या तथा परमतत्व का उल्लेख कीजिए।
  66. प्रश्न- शिक्षा में वेदान्त का महत्व बताइए।
  67. प्रश्न- बौद्ध धर्म के प्रमुख दार्शनिक सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  68. प्रश्न- बौद्ध धर्म के क्षणिकवाद तथा अनात्मवाद दार्शनिक सिद्धान्त से आप क्या समझते हैं?
  69. प्रश्न- बौद्ध दर्शन में पंच स्कन्ध तथा कर्मवाद सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  70. प्रश्न- बौद्ध दर्शन के परिप्रेक्ष्य में बोधिसत्व से आप क्या समझते हैं?
  71. प्रश्न- बौद्ध दर्शन माध्यमिक शून्यवाद के सिद्धान्त से आप क्या समझते हैं?
  72. प्रश्न- बौद्ध दर्शन में निहित मूल शैक्षिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- बौद्ध दर्शन में प्रतीत्य समुत्पाद, कर्मवाद तथा बोधिसत्व के सिद्धान्तों के शैक्षिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  74. प्रश्न- बौद्ध दर्शन के शैक्षिक स्वरूप को स्पष्ट कीजिए।
  75. प्रश्न- शिक्षा के उद्देश्य, पाठ्यक्रम एवं अनुशासन पर महात्मा बुद्ध के विचारों की विवेचना कीजिए।
  76. प्रश्न- बौद्ध दर्शन के अष्टांगिक मार्ग के शैक्षिक निहितार्थ का उल्लेख कीजिए।
  77. प्रश्न- बौद्ध धर्म के हीनयान तथा महायान सम्प्रदाय के मूलभूत भेद क्या हैं? उल्लेख कीजिए।
  78. प्रश्न- बौद्ध दर्शन में चार आर्य सत्यों का उल्लेख करते हुए उनके शैक्षिक निहितार्थ का विश्लेषण कीजिए?
  79. प्रश्न- जैन दर्शन से क्या तात्पर्य है? जैन दर्शन के मूल सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- जैन दर्शन के अनुसार 'द्रव्य' संप्रत्यय की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  81. प्रश्न- जैन दर्शन द्वारा प्रतिपादित शिक्षा के उद्देश्यों, पाठ्यक्रम और शिक्षण विधियों का उल्लेख कीजिए।
  82. प्रश्न- इस्लाम दर्शन का परिचय दीजिए। इस्लाम दर्शन के शिक्षा के अर्थ को स्पष्ट करते हुए इसमें निहित शिक्षा के उद्देश्यों, पाठ्यक्रम तथा शिक्षण विधियों का उल्लेख कीजिए।
  83. प्रश्न- इस्लाम धर्म एवं दर्शन की प्रमुख विशेषताएँ क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  84. प्रश्न- जैन दर्शन का मूल्यांकन कीजिए।
  85. प्रश्न- मूल्य निर्माण में जैन दर्शन का क्या योगदान है?
  86. प्रश्न- अनेकान्तवाद (स्याद्वाद) को समझाइए।
  87. प्रश्न- जैन दर्शन और छात्र पर टिप्पणी लिखिए।
  88. प्रश्न- इस्लाम दर्शन के अनुसार शिक्षा व शिक्षार्थी के विषय में बताइए।
  89. प्रश्न- संसार को इस्लाम धर्म की देन का उल्लेख कीजिए।
  90. प्रश्न- गीता में नीतिशास्त्र की विस्तृत व्याख्या कीजिए।
  91. प्रश्न- गीता में भक्ति मार्ग की महत्ता क्या है?
  92. प्रश्न- श्रीमद्भगवत गीता के विषय विस्तार को संक्षेप में समझाइये।
  93. प्रश्न- गीता के अनुसार कर्म मार्ग क्या है?
  94. प्रश्न- गीता दर्शन में शिक्षा का क्या अर्थ है?
  95. प्रश्न- गीता दर्शन के अन्तर्गत शिक्षा के सिद्धान्तों को बताइए।
  96. प्रश्न- गीता दर्शन में शिक्षालयों का स्वरूप क्या था?
  97. प्रश्न- गीता दर्शन तथा मूल्य मीमांसा को संक्षेप में बताइए।
  98. प्रश्न- गीता में गुरू-शिष्य के सम्बन्ध कैसे थे?
  99. प्रश्न- वैदिक परम्परा व उपनिषदों के अनुसार शिक्षा के उद्देश्य लिखिए।
  100. प्रश्न- नास्तिक सम्प्रदायों का शैक्षिक अभ्यास में योगदान बताइए।
  101. प्रश्न- आस्तिक एवं नास्तिक पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  102. प्रश्न- रूढ़िवाद किसे कहते हैं? रूढ़िवाद की परिभाषा बताइए।
  103. प्रश्न- भारतीय वेद के सामान्य सिद्धान्त बताइए।
  104. प्रश्न- भारतीय दर्शन के नास्तिक स्कूलों का परिचय दीजिए।
  105. प्रश्न- आस्तिक दर्शन के प्रमुख स्कूलों का परिचय दीजिए।
  106. प्रश्न- भारतीय दर्शन के आस्तिक तथा नास्तिक सम्प्रदायों की व्याख्या कीजिये।
  107. प्रश्न- शिक्षा के उद्देश्य, पाठ्यक्रम और शिक्षण विधि पर श्री अरविन्द घोष के विचारों की विवेचना कीजिए।
  108. प्रश्न- श्री अरविन्द अन्तर्राष्ट्रीय शिक्षा केन्द्र का वर्णन कीजिए।
  109. प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में अरविन्द घोष के योगदान का वर्णन कीजिए।
  110. प्रश्न- श्री अरविन्द के किन शैक्षिक विचारों ने आपको अपेक्षाकृत अधिक प्रभावित किया और क्यों?
  111. प्रश्न- श्री अरविन्द के शैक्षिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  112. प्रश्न- टैगोर के शिक्षा दर्शन का मूल्यांकन कीजिए तथा शिक्षा के उद्देश्य, शिक्षण पद्धति, पाठ्यक्रम एवं शिक्षक के स्थान के सम्बन्ध में उनके विचारों को स्पष्ट कीजिए।
  113. प्रश्न- टैगोर का शिक्षा में योगदान बताइए।
  114. प्रश्न- विश्व भारती का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  115. प्रश्न- शान्ति निकेतन की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं? आप कैसे कह सकते हैं कि यह शिक्षा में एक प्रयोग है?
  116. प्रश्न- टैगोर का मानवतावादी प्रकृतिवाद पर टिप्पणी लिखिए।
  117. प्रश्न- डॉ. राधाकृष्णन के बारे में प्रकाश डालिए।
  118. प्रश्न- शिक्षा के अर्थ, उद्देश्य तथा शिक्षण विधि सम्बन्धी विचारों पर प्रकाश डालते हुए गाँधी जी के शिक्षा दर्शन का मूल्यांकन कीजिए।
  119. प्रश्न- गाँधी जी के शिक्षा दर्शन तथा शिक्षा की अवधारणा के विचारों को स्पष्ट कीजिए। उनके शैक्षिक सिद्धान्त वर्तमान भारत की प्रमुख समस्याओं का समाधान कहाँ तक कर सकते हैं?
  120. प्रश्न- बुनियादी शिक्षा क्या है?
  121. प्रश्न- बुनियादी शिक्षा का वर्तमान सन्दर्भ में महत्व बताइए।
  122. प्रश्न- "बुनियादी शिक्षा महात्मा गाँधी की महानतम् देन है"। समीक्षा कीजिए।
  123. प्रश्न- गाँधी जी की शिक्षा की परिभाषा की विवेचना कीजिए।
  124. प्रश्न- शारीरिक श्रम का क्या महत्त्व है?
  125. प्रश्न- गाँधी जी की शिल्प आधारित शिक्षा क्या है? शिल्प शिक्षा की आवश्यकता बताते हुए.इसकी वर्तमान प्रासंगिकता बताइए।
  126. प्रश्न- वर्धा शिक्षा योजना पर टिप्पणी लिखिए।
  127. प्रश्न- महर्षि दयानन्द के जीवन एवं उनके योगदान को समझाइए।
  128. प्रश्न- दयानन्द के शिक्षा दर्शन के विषय में सविस्तार लिखिए।
  129. प्रश्न- स्वामी दयानन्द का शिक्षा में योगदान बताइए।
  130. प्रश्न- शिक्षा का अर्थ एवं उद्देश्यों, पाठ्यक्रम, शिक्षण-विधि, शिक्षक का स्थान, शिक्षार्थी को स्पष्ट करते हुए जे. कृष्णामूर्ति के शैक्षिक विचारों की व्याख्या कीजिए।
  131. प्रश्न- जे. कृष्णमूर्ति के जीवन दर्शन पर टिप्पणी लिखिए।
  132. प्रश्न- जे. कृष्णामूर्ति के विद्यालय की संकल्पना पर प्रकाश डालिए।
  133. प्रश्न- मानवाधिकार आयोग के सार्वभौमिक घोषणा पत्र में मानव मूल्यों के सन्दर्भ में क्या घोषणाएँ की गई।
  134. प्रश्न- मूल्यों के संवैधानिक स्रोतों का उल्लेख कीजिए।
  135. प्रश्न- राष्ट्रीय मूल्य की अवधारणा क्या है?
  136. प्रश्न- जनतंत्र का अर्थ स्पष्ट कीजिए जनतन्त्रीय शिक्षा का वर्णन कीजिए?
  137. प्रश्न- लोकतन्त्र में शिक्षा के उद्देश्य क्या हैं?
  138. प्रश्न- आधुनिकीकरण के गुण-दोषों की व्याख्या करते हुए इसमें शिक्षा की भूमिका का भी वर्णन कीजिए।
  139. प्रश्न- आधुनिकीकरण का अर्थ एवं परिभाषएँ बताइए।
  140. प्रश्न- आधुनिकीकरण की विशेषताएँ बताइये।
  141. प्रश्न- आधुनिकीकरण के लक्षण बताइये।
  142. प्रश्न- आधुनिकीकरण में शिक्षा की भूमिका बताइये।
  143. प्रश्न- राष्ट्रीय एकता में शिक्षा की भूमिका क्या है? विवेचना कीजिए।
  144. प्रश्न- शैक्षिक अवसरों में समानता से आप क्या समझते हैं?
  145. प्रश्न- लोकतन्त्रीय शिक्षा के पाठ्यक्रम और शिक्षण विधियों की विवेचना कीजिए।
  146. प्रश्न- जनतन्त्रीय शिक्षा के उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
  147. प्रश्न- शिक्षा में लोकतंत्रीय धारणा से आप क्या समझते हैं?
  148. प्रश्न- राष्ट्रीय एकता की समस्या पर प्रकाश डालिए?
  149. प्रश्न- भारत में शैक्षिक अवसरों की असमानता के विभिन्न स्वरूपों पर प्रकाश डालिए।
  150. प्रश्न- प्रजातन्त्र में शिक्षा की भूमिका बताइये।
  151. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में शिक्षा की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।
  152. प्रश्न- लोकतन्त्र में शिक्षा के उद्देश्य बताइये।
  153. प्रश्न- जनतंत्र के मूल सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  154. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन से आप क्या समझते हैं? शिक्षा सामाजिक परिवर्तन किस प्रकार लाती है?

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